मौत के बाद नहीं मिल रही दो गज जमीन, शव को दफन करने नहीं दे रहा गांव का मुखिया, जानें वजह…

कांकेरः करीब तीन साल पहले एक महिला ने धर्म परिवर्तन कर लिया अपनी और परिवार की मर्जी से लेकिन गांव के लोगों को ये रास नहीं आया और उसका हुक्का-पानी बंद कर गांव से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। तीन साल बाद जब उस महिला की मौत हो गई तो बेटा उसका शव लेकर गांव पहुंचा कि जिस गांव में वो दुल्हन बनकर आई थी, वहीं अर्थी निकले और वहीं अंतिम संस्कार हो। मगर गांव के लोगों ने दो गज जमीन भी देने से इनकार कर दिया। 24 घंटे से शव को अपने आखिरी सफर के शुरू होने का इंतजार है।

कफन में लिपटा ये वो मुर्दा जिस्म है, जिसकी किस्मत में मौत के बाद भी बदनसीबी लिखी है। इंसानियत के चेहरे पर तमाचा मारने वाली ये तस्वीर कांकेर के कुलगांव इलाके के गोवर्धन गांव से आई है। जहां मौत की नींद सोने के बाद इस बदनसीब लाश को अंतिम संस्कार के लिए दो गज जमीन भी नसीब नहीं हो रही है। दरअसल, संग्राम सिंह उईके की मां ने धर्म परिवर्तन कर लिया था। इसके बाद उसे गांव की पंचायत ने सारे सामाजिक रिश्ते तोड़ दिए थे। जिंदगी से रुसवा हुई महिला के माथे पर जब मौत की मुहर लगी, तब भी उसकी ये सजा खत्म नहीं हुई। 24 घंटे से ज्यादा हो गए। गांव का मुखिया शव का कफन-दफन नहीं करने दे रहा है।

लाश के अंतिम संस्कार नहीं होने की खबर मिली, तो प्रशासन की टीम गांव पहुंची। लेकिन ग्रामीण अपनी जिद पर अड़े रहे और समझाइश किसी काम नहीं आई। लाश अब भी अपनी सद्गति का इंतजार कर रही है। समाज के ताने-बाने कुछ ऐसे हैं। कुछ कायदे और कुछ सोच ऐसी है कि सांसों की डोर टूट जाने के बाद भी मुर्दा जिस्म से, उसके जीते जी किए गए काम का पूरा गांव इंतकाम ले रहा है।

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